Hindi Teacher

mahaveer_ramchandra
Mr. Sable
हिंदी भाषा वरिष्ठ अध्यापक

कहि रहीम परकाज हित, संपति संचहिं सुजान ||

तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पियहिं न पान |

मैं डॉ. साबळे ‘द अकैडेमी स्कूल’ में हिंदी भाषा वरिष्ठ अध्यापक के रूप में कार्यरत हूँ| हिंदी विषय में विशेष रूचि के कारण ही मैंने इसमें विद्यावाचस्पति (पीएच. डी.) तक शिक्षा पूर्ण की है| मेरे समेत विदयालय के सभी हिंदी शिक्षक अपने छात्रों को विद्यालयीन शिक्षा के साथ-साथ नैतिक व्यवहार का पाठ पढ़ाने में सदैव कटिबद्ध रहते हैं| हिंदी भाषा और साहित्य की शिक्षा आज के युग में और भी अधिक अवश्यंभावी बन चुकी है| हिंदी की समृद्ध शिक्षा प्रदान करने में हमारा विदयालय सदैव अग्रणी रहा है| मध्यकाल के मशहूर कवि रहीम कहते हैं-

तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पियहिं न पान |
कहि रहीम परकाज हित, संपति संचहिं सुजान ||

अर्थात् पेड़ अपने खट्टे-मीठे फल खुद नहीं खाते हैं, सरोवर अपना जल खुद नहीं पीते हैं, ठीक वैसे ही हम इनसानों को भी इंसानियत के लिए जीना चाहिए| हिंदी साहित्य हमें एकात्मभाव, परोपकार समेत अनेक जीवनमूल्यों की शिक्षा प्रदान करता है| दसवीं कक्षा तक पढ़ाये जाने वाले पाठों से छात्रों को भारत की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और सभ्यता से परिचित कराया जाता है| छात्रों को हिंदी भाषा और साहित्य के माध्यम से सहज ही ज्ञात होता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक यह देश एकता के सूत्र में बंधा है| हिंदी की शिक्षा से छात्र भारत के स्वर्णिम इतिहास से अवगत होते हैं| यह वही ‘भारत राष्ट्र’ है जहाँ, कभी तक्षशीला और नालंदा जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालय विद्यमान थे| जिनमें साहित्य, संगीत, कला के साथ-साथ गणित, ज्योतिष, रसायन और भौतिकशास्त्र का अद्ययावत ज्ञान प्रदान किया जाता था| लाखों पुस्तकें ज्ञानराशी से ओतप्रोत थीं| यहाँ दुनियाभर से अध्ययन हेतु छात्रों का आगमन होता था| भारत उस समय ‘विश्व गुरु’ कहलाता था| आज फिर से हमें शिक्षा के क्षेत्र में भारत को ‘विश्व गुरु’ बनना है| हिंदी भाषा और शिक्षा के माध्यम से इसे साकार किया जा सकता है|
हमारे विद्यालय में हिंदी भाषा के राष्ट्रीय और आंतरराष्ट्रीय महत्त्व को समझते हुए, वक्तृत्व, निबंध लेखन, वाद-विवाद, कहानी लेखन, काव्य-सृजन जैसे अनेकविध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है| नौवीं और दसवीं कक्षा में उपन्यास तथा एकांकी जैसी बृहत् साहित्य-विधाओं का अध्ययन कराया जाता है| दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होने तक छात्र हिंदी भाषा के शुद्ध प्रयोग में सक्षम बन जाते हैं| हमारा विदयालय छात्रों के भाषिक विकास के प्रति पूर्ण संवेदनशील है|
धन्यवाद!